Supreme Court News: देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने PMLA यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉंड्रिंग एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) के गिरफ़्तारी और संपत्ति ज़ब्त करने के अधिकार को बरकरार रखा। देश की शीर्ष अदालत ने PMLA के तहत ED के मिले अधिकारों को जायज ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि PMLA के कानून में जो बदलाव किए गए हैं वो ठीक हैं। इतना ही नहीं प्रवर्तन निदेशालय को मिली गिरफ्तारी की शक्ति भी सुप्रीम कोर्ट की नज़र में एकदम ठीक है।
Supreme Court: देश की सबसे बड़ी अदालत ने ED को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को जायज ठहराया
Supreme Court : देश की सबसे बड़ी अदालत ने PMLA के तहत किए गए क़ानूनों में बदलाव के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) को दिए गए जांच (Enquaries) और गिरफ्तारी (Arresting) के अधिकारों को जायज ठहराया।
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27 Jul 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:23 PM)
ये बात काबिल-ए-गौर है कि 242 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने ये फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि PMLA कानून में किए गए बदलाव के तहत अब प्रवर्तन निदेशालय के सामने दिया गया कोई भी बयान सबूत भी माना जा सकता है।
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Supreme Court News: PMLA के क़ानून में किए गए बदलाव के तहत गैरक़ानूनी तरीके से अर्जित की गई संपत्ति के सिलसिले में तलाशी लेना और संपत्ति को जब्त करना इसके अलावा आरोपी को गिरफ्तार करने का अधिकार प्रवर्तन निदेशालय के पास है। और इस अधिकार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने सही ठहराया है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सेक्शन 50 के तहत ईडी किसी का बयान ले भी सकती है और आरोपी को बुला भी सकती है। नए कानून के तहत दिया गया ये अधिकार उसके पास सुरक्षित रहेगा। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि मनी लॉन्ड्रिंग एक जुर्म है। सेक्शन 5, सेक्शन 18, सेक्शन 19, सेक्शन 24 और सेक्शन 44 में जो नई उपधाराएं जोड़ी गई हैं वो भी सही हैं।
Supreme Court News: कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय मौजूदा वक़्त में जैसे काम कर रहा है वो वैसे ही काम करता रहेगा और उसके अधिकारों में किसी भी तरह की कटौती नहीं की जाएगी।
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