दिल्ली सरकार छावला सामूहिक दुष्कर्म मामले के दोषियों को बरी करने के फैसले को चुनौती देगी

दिल्ली सरकार छावला सामूहिक दुष्कर्म मामले के दोषियों को बरी करने के फैसले को चुनौती देगी

CrimeTak

21 Nov 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:30 PM)

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Delhi Crime News: उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने 2012 के छावला सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले में मौत की सजा पाने वाले तीन दोषियों को बरी करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने की मंजूरी दे दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि सक्सेना ने मामले में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की सेवाएं लेने की भी मंजूरी दे दी है।

अधिकारी ने कहा, “उपराज्यपाल ने तीनों आरोपियों को बरी करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने की मंजूरी दे दी है।”

उन्होंने बताया कि शीर्ष अदालत द्वारा आरोपियों को बरी किए जाने के बाद पीड़िता के माता-पिता ने डर के चलते पुलिस सुरक्षा मांगी थी।

दिल्ली की एक निचली अदालत ने द्वारका के छावला इलाके में नौ फरवरी 2012 को 19 वर्षीय एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले में तीनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था।

आरोपियों ने सजा के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने सात नवंबर 2022 के अपने फैसले में निचली अदालत और उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया था।

आरोपियों को बरी करने के फैसले की तीखी आलोचना हुई थी। महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा था कि इससे अभियुक्तों का हौसला बढ़ेगा।

तीन आरोपियों को बरी करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि कानून अदालतों को किसी आरोपी को केवल संदेह के आधार पर दंडित करने की अनुमति नहीं देता है।

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए यह भी कहा था कि अगर जघन्य अपराध में शामिल अभियुक्तों को सजा नहीं मिलती है या उन्हें बरी कर दिया जाता है तो आम स्तर पर समाज और विशेष रूप से पीड़ित के परिवार के लिए एक प्रकार की पीड़ा और हताशा हो सकती है।

पीठ ने कहा था कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के खिलाफ डीएनए प्रोफाइलिंग और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) सहित अन्य मामलों में ठोस, निर्णायक और स्पष्ट साक्ष्य पेश करने में नाकाम रहा। उसने कहा था कि निचली अदालत ने भी मामले में एक निष्क्रिय अंपायर के रूप में काम किया।

अभियोजन पक्ष ने कहा था कि युवती उत्तराखंड की रहने वाली थी और गुरुग्राम के साइबर सिटी में काम करती थी। वह कार्यस्थल से लौट रही थी और अपने घर के पास पहुंची ही थी कि तीन लोगों ने एक कार में उसका अपहरण कर लिया।

अभियोजन पक्ष ने कहा था कि जब युवती घर नहीं लौटी तो उसके परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। उसने बताया था कि इसके बाद हरियाणा के रेवाड़ी में युवती का क्षत-विक्षत शव सड़ी-गली हालत में बरामद हुआ था। पुलिस को युवती के शव पर जख्म के कई निशान मिले थे।

अभियोजन पक्ष ने कहा था कि आगे की जांच और शव के पोस्टमॉर्टम से पता चला कि युवती पर कार के औजारों, कांच की बोतलों, धातु की वस्तुओं और अन्य हथियारों से हमला किया गया था और उसके साथ बलात्कार भी हुआ था।

पुलिस ने अपराध में शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार किया था और कहा था कि इनमें से एक आरोपी ने युवती द्वारा उसके प्रेम प्रस्ताव को ठुकराए जाने के बाद कथित तौर पर उससे बदला लेने के लिए ऐसा किया था।

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