Delhi Court News: यहां की एक अदालत ने 2014 में हुई हत्या के एक मामले में तीन लोगों को बरी करते हुए दिल्ली पुलिस के एक जांच अधिकारी (आईओ) को फटकार लगाई और कहा कि वास्तविक हत्यारा फरार है जबकि निर्दोषों पर मुकदमा चलाया गया। अदालत ने कहा कि लचर तरीके से जांच करने के अलावा जानबूझकर वास्तविक अपराधी को बचाने का प्रयास किया गया। इसने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला नरबलि का प्रतीत होता है।
हत्यारा फरार है दिल्ली पुलिस ने बेगुनाहों पर चलाया कत्ल का केस, अदालत ने लगाई लताड़, तीन आरोपियों को किया बरी
Delhi Court: यहां की एक अदालत ने 2014 में हुई हत्या के एक मामले में तीन लोगों को बरी करते हुए दिल्ली पुलिस के एक जांच अधिकारी (आईओ) को फटकार लगाई और कहा कि वास्तविक हत्यारा फरार है जबकि निर्दोषों पर मुकदमा चलाया गया।
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अदालत का फैसला
15 Nov 2023 (अपडेटेड: Nov 15 2023 6:10 PM)
निर्दोषों पर मुकदमा चलाया गया
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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धीरेंद्र राणा दिसंबर 2014 में यहां बवाना इलाके में एक क्षत-विक्षत शव मिलने के मामले की सुनवाई कर रहे थे और इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सरकारी वकील ने दावा किया कि मृतक मंजीत और गिरफ्तार किए गए तीन लोग नशे के आदी थे और घटना के दिन मंजीत ने उनके साथ मादक पदार्थ साझा करने से इनकार कर दिया था, जिससे आरोपी नाराज हो गए और उसकी हत्या कर दी।
प्रथम दृष्टया मामला नरबलि का
न्यायाधीश ने अपने हालिया फैसले में कहा, ‘‘आरोपी व्यक्तियों, मृतक के रक्त के नमूने और घटनास्थल से बरामद वस्तुओं में किसी भी मादक पदार्थ की मौजूदगी न होने से अभियोजन पक्ष का यह दावा पूरी तरह से खारिज हो जाता है कि वे सभी घटनास्थल पर मादक पदार्थ का सेवन कर रहे थे और उनके बीच इसे साझा करने को लेकर विवाद हुआ, जिसके परिणामस्वरूप हत्या कर दी गई।’’
असल हत्यारा फरार है
अदालत ने आश्चर्य जताया कि अपराध के लिए कथित हथियार ‘ब्लेड’ का इस्तेमाल मृतक के सिर को काटने और उसके शरीर को इस तरह से क्षत-विक्षत करने के लिए कैसे किया जा सकता है कि उसकी छाती की हड्डियां तक दिखाई दे रही थीं। इसने कहा कि जांच अधिकारी ने मंजीत के सिर का पता लगाने का कोई प्रयास नहीं किया और आरोपी का इसे छिपाने का कोई उद्देश्य नहीं था।
कोर्ट ने तीनों आरोपियों को बरी कर दिया
अदालत ने कहा, ‘‘घटनास्थल से नरबलि के संकेत मिले, लेकिन आईओ ने इस संदर्भ में जांच नहीं करने का विकल्प चुना।’’ इसने तीनों आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे उनके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा है। अदालत ने संबंधित पुलिस उपायुक्त को आईओ के खिलाफ उचित विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
(PTI)
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