Kanpur Bikeru case: जुलाई 2020 में कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे गिरोह ने पुलिस टीम पर उस समय हमला कर दिया था, जब वे उसे गिरफ्तार करने गए थे. गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने गोलीबारी की, जिसमें मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सहित आठ पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई. बिकरू कांड के 44 आरोपियों में से 30 पर गैंगस्टर के मामले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. आज 5 सितंबर को गैंगस्टर के मामले में इन 30 आरोपियों की सुनवाई हुई, जिसमें 23 लोगों को दोषी पाया गया. हालांकि सबूतों के अभाव में सात आरोपियों को बरी कर दिया गया.
बिकरू कांड: 30 में से 23 आरोपी दोषी करार, 7 को इस वजह से कोर्ट ने छोड़ दिया, बाकियों को मिली इतनी सजा
Kanpur Bikeru case: जुलाई 2020 में कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे गिरोह ने पुलिस टीम पर उस समय हमला कर दिया था, जब वे उसे गिरफ्तार करने गए थे.
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Kanpur Bikeru case: File photo
05 Sep 2023 (अपडेटेड: Sep 5 2023 5:25 PM)
बता दें कि कोर्ट ने 23 दोषी लोगों को 10 साल जेल की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 50,000 का जुर्माना लगाया. बिकरू कांड से जुड़े इन सभी लोगों की सुनवाई कानपुर देहात गैंगस्टर कोर्ट में हुई, जहां फैसला सुनाया गया. फिलहाल सभी दोषी कानपुर की माती जेल में अपनी सजा काट रहे हैं.
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आरोप से बरी किए गए लोगों में प्रशांत उर्फ डब्बू, अरविंद उर्फ गुड्डन, संजू उर्फ संजय दुबे, सुशील तिवारी, राजेंद्र मिश्रा, बालगोविंद और रमेश चंद्र शामिल हैं। सबूतों की कमी के कारण अदालत ने उन्हें बरी कर दिया। वहीं अन्य 23 आरोपियों को 10 साल की जेल और 50-50 हजार का जुर्माना लगाया गया.
गौरतलब है कि यह मुकदमा सिर्फ गैंगस्टर केस का है और बिकरू कांड में सभी 30 लोगों के खिलाफ केस अभी भी चल रहा है. दोषी पाए जाने पर उन्हें अलग-अलग सजा मिलेगी. बिकरू कांड के बाद 23 अक्टूबर, 2020 को तत्कालीन चौबेपुर थाना प्रमुख कृष्ण मोहन राय ने 44 आरोपियों में से 30 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
बिकरू गांव में घातक घटना 2 जुलाई, 2020 की रात को सामने आई, जब सीओ बिल्हौर ने विकास दुबे को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस बल का नेतृत्व किया. इस ऑपरेशन की जानकारी विकास दुबे तक पहले ही पहुंच गई. जैसे ही पुलिस गांव में दाखिल हुई, विकास दुबे और उसके शूटरों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी, जिसमें सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की जान चली गई. इस मुठभेड़ के दौरान पुलिस टीम के कुछ सदस्य भागकर अपनी जान बचाने में कामयाब रहे.
इस घटना से पूरे राज्य में हड़कंप मच गया और पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी. कुछ ही दिनों में विकास दुबे गैंग के पांच सदस्य एनकाउंटर में मारे गए. 45 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. फिर 10 जुलाई को विकास दुबे खुद एनकाउंटर में मारा गया. उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन में पकड़ा गया था. पुलिस ने बताया कि विकास दुबे ने भागने की कोशिश की थी और पुलिस पर फायरिंग की थी. आत्मरक्षा में पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की, जिसमें विकास दुबे की मौत हो गई.
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