UP Lakhimpur Kheri Violence : UP के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की डिस्चार्ज एप्लिकेशन खारिज कर दी गई है. आशीष मिश्रा उर्फ मोनू समेत 13 अन्य की डिस्चार्ज एप्लीकेशन खारिज की गई है. अब इस केस में 6 दिसंबर को आशीष मिश्रा और उसके साथियों पर आरोप तय किए जाएंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि आशीष मिश्रा की मुश्किलें अब बढ़ जाएंगी.
UP News : लखीमपुर हिंसा में आशीष मिश्रा की डिस्चार्ज एप्लीकेशन खारिज, 6 को आरोप तय होगा
UP Lakhimpur Kheri Violence News : लखीमपुर हिंसा में आशीष मिश्रा (Ashish Mishra Teni) की डिस्चार्ज एप्लीकेशन (Discharge application) खारिज, 6 दिसंबर को आरोप तय होगा.
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05 Dec 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:31 PM)
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UP Lakhimpur Kheri Violence Chargesheet News : उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में आगजनी और हिंसा अचानक हुई कोई दुर्घटना नहीं थी. बल्कि एक सोची समझी साजिश थी. ये खुलासा मामले की जांच कर रही एसआईटी (SIT) की चार्जशीट में हुआ है. इस पूरी साजिश में मुख्य आरोपी केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को ही बनाया गया है. पूरी घटना में कुल 14 आरोपी बनाए गए हैं. इसमें आशीष मिश्रा की पिस्टल से फायरिंग होने का भी जिक्र किया गया है.
करीब 5 हजार पन्नों की ये चार्जशीट अब कोर्ट में दाखिल कर दी गई. घटना के 90 दिनों में ही ये चार्जशीट पेश की गई है. इस चार्जशीट में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra) के बेटे आशीष के करीबी वीरेंद्र कुमार शुक्ला का नाम भी जोड़ा गया है. वीरेंद्र शुक्ला रिश्ते में आशीष मिश्रा का मामा बताया जा रहा है. लेकिन इसमें केंद्रीय राज्य मंत्री का नाम शामिल नहीं है.
हालांकि, किसानों की तरफ से कोर्ट में पेश होने वाले वकील ने मंत्री अजय मिश्रा के नाम को भी आरोप पत्र में जोड़ने की अर्जी दी थी. लेकिन जो फाइनल चार्जशीट बनाई गई उसमें अजय मिश्रा का नाम नहीं है.
3 अक्टूबर 2021 की घटना में हुई थी 8 की मौत
lakhimpur kheri violence case : बता दें कि लखीमपुर में 3 अक्टूबर 2021 को बड़ी घटना हुई थी. जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना में एक पत्रकार की भी जान गई थी. इस केस में किसानों की तरफ से मामला दर्ज कराया गया था.
इस केस में मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू समेत 13 लोगों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था. आरोपी आशीष मिश्रा की तरफ से भी मामले में एक रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी.
जानकारी मिली है कि इस केस में जांच कर रही SIT यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने अब 5 हजार पन्ने की चार्जशीट दाखिल की है. इसमें लखीमपुर के तिकुनिया में हुई घटना को लेकर किसानों की तरफ से एडवोकेट अमान ने मीडिया को बताया कि एफआईआर में आईपीसी की धारा-201 को जोड़ा गया है.
आईपीसी की धारा-201 का मतलब होता है तो साक्ष्यों को मिटाना. इसके साथ ही वीरेंद्र कुमार शुक्ला के नाम को जोड़ा गया है हालांकि मंत्री के नाम को इसमें शामिल नहीं किया गया है.
SIT ने हादसा नहीं, सोची-समझी साजिश बताया
SIT files chargesheet in Lakhimpur Kheri violence : बता दें कि इस घटना को आज पूरे 90 दिन पूरे हो गए. नियमानुसार पुलिस जांच के 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करती है. इस केस की जांच के लिए गठित एसआईटी ने 90 दिनों के भीतर चार्जशीट बनाकर पेश कर दिया है.
इस रिपोर्ट में ये बताया गया है कि ये कोई दुर्घटना नहीं थी. बल्कि सोची समझी साजिश थी. यानी चार्जशीट में ये दावा किया है कि किसानों को जिस तरह से गाड़ी से रौंदा गया था वो कोई अचानक हुआ हादसा नहीं था. बल्कि पूरा एक षड़यंत्र था. इसलिए कोर्ट में ये भी अनुरोध किया गया कि मामले में आरोपियों के खिलाफ धाराओं में कुछ बदलाव करने की जरूरत है.
क्या थी लखीमपुर खीरी हिंसा
What is Lakhimpur kheri Violence : ये घटना लखीमपुर के तिकुनिया कस्बे में 3 अक्टूबर 2021 को हुई थी. उस दिन तिकुनिया क़स्बे में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का किसान विरोध कर रहे थे. उसी दौरान किसानों पर गाड़ियां चढ़ाई गईं थीं. इसे अंजाम देने का आरोप बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा से जुड़े लोगों पर लगा था.
इस घटना में कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी. जिनमें चार किसानों और एक पत्रकार की मौत तो कार से कुचलने की वजह से हुई थी. वहीं, मौके पर जुटी भीड़ ने गुस्से में कारों में सवार तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. इस तरह कुल आठ लोगों की जान गई थी. इस घटना की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी लखीमपुर खीरी मामले का खुद ही संज्ञान लिया था.
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