Delhi Earthquake Reason : दिल्ली नोएडा समेत पूरे एनसीआर में भूकंप के झटके से लोगों में डर समा गया. मंगलवार दोपहर करीब 2 बजकर 53 मिनट पर रिएक्टर स्केल पर 4.6 की तीव्रता से भूकंप आया. इसका एपीसेंटर यानी अभिकेंद्र नेपाल में था. नेपाल में दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. पहला झटका 2.25 बजे 4.6 तीव्रता से और फिर दूसरा झटका 2.53 बजे आया. ये भूकंप के झटके दिल्ली एनसीआर के साथ यूपी के कई इलाकों में महसूस किए गए. लेकिन आखिर ये बार-बार दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके क्यों आ रहे हैं. इसके पीछे की वजह क्या है. आइए जानते हैं.
Earthquake : आखिर क्यों आ रहा है बार-बार भूकंप? इसके पीछे का पूरा साइंस जानें, कैसे इंडियन प्लेट टकराकर झटके दे रही
Earthquake Main Reason in Delhi NCR : दिल्ली नोएडा और इसके आसपास के शहरों में क्यों आ रहे हैं भूकंप के झटके, जानिए अंदर की साइंस वाली जानकारी.
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03 Oct 2023 (अपडेटेड: Oct 3 2023 4:34 PM)
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क्यों आ रहे भूकंप के झटके, जानिए असली वजह
Reason Behind Delhi Noida Earthqauke : आप ऐसे समझिए जिस पृथ्वी की ऊपरी सतह पर हम रह रहे हैं उसे तकनीकी तौर पर हम क्रस्ट कहते हैं. इसकी मोटाई 30 किमी तक होती है. मतलब जिस जमीन पर हम रहते हैं उसे भी क्रस्ट कहते हैं और उसकी मोटाई पृथ्वी के नीचे 30 किमी तक होती है. हालांकि, जब महासागरों की बात करें तो इसी क्रस्ट की मोटाई महज 5 से 6 किमी ही होती है. इसी क्रस्ट पर टेक्टॉनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) होती हैं. जो धीरे-धीरे घिसकती रहती हैं. आमतौर पर ये प्लेटें खिसकती रहती हैं लेकिन जब दूसरी प्लेट से इनकी टकराहट होती है या कोई रुकावट आती है तो भूकंप के झटके आते हैं. हमारी पृथ्वी को मोटेतौर पर 7 टेक्टॉनिक प्लेट में बांटा गया है. जिसमें यूरेशियन प्लेट, इंडियन ऑस्ट्रेलियन प्लेट, पैसिफिक प्लेट समेत कुल 7 प्लेट्स हैं. जबकि पृथ्वी पर 10 या इससे ज्यादा छोटी-छोटी टेक्टॉनिक प्लेट भी हैं.
bhookamp Kyo Aata Hai : अब जिस प्लेट पर पूरा भारत देश है वो इंडियन टेक्टॉनिक प्लेट है. ये पहले इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट का हिस्सा था. जिसे पहले गोंडवाना कहते थे. लेकिन फिर ये प्लेट भी अलग-अलग हो गईं. अब इंडियन और बर्मा प्लेट एक दूसरे से मिले हुए हैं. अब इंडियन प्लेट (Indian Plate) लगातार हिमालय की तरफ खिसक रहा है. एक साइंटिफिक रिपोर्ट के अनुसार, 5 सेंटीमीटर हर साल हमारी इंडियन प्लेट नॉर्थ की तरफ यानी चीन की तरफ खिसक रही है. लेकिन वहां पर जो हिमालय पर्वत के बाद यूरेशियन प्लेट है वो काफी हद तक स्थिर है. इसके साथ ही यूरेशियन प्लेट के खिसकने की रफ्तार 1.5 सेमी या इससे भी कम है. ऐसे में इंडियन प्लेट की रफ्तार ज्यादा और उसके साथ खिसक रही यूरेशियन प्लेट की रफ्तार कम है.
अब इसे ऐसे समझ लीजिए मान लीजिए आपकी गाड़ी की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटे है और आपके सामने चल रही किसी गाड़ी की रफ्तार 80 किमी प्रति घंटे या उससे कम है. अब भले ही दोनों में काफी दूरी हो लेकिन एक समय आएगा जब उसमें टक्कर हो जाएगी. इसी तरह भारतीय प्लेट जब-जब हिमालयन क्षेत्र में दूसरी प्लेट से टकराती है तो भूकंप के झटके आते हैं. अब हिमालय के आसपास वाले क्षेत्र में इसी वजह से ज्यादा भूकंप की तीव्रता होती है.
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