क्या होता है टू फिंगर टेस्ट ? What is Two-Finger Test ?
क्या होता है टू फिंगर टेस्ट ? What is Two-Finger Test ?
What is Two-Finger Test ? टू-फिंगर टेस्ट जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि दो उंगलियां वाला टेस्ट। इसमें पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर उसकी वर्जिनिटी टेस्ट की जाती है।
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31 Oct 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:29 PM)
What is Two-Finger Test ? टू-फिंगर टेस्ट जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि दो उंगलियां वाला टेस्ट। इसमें पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर उसकी वर्जिनिटी टेस्ट की जाती है। यह टेस्ट इसलिए किया जाता है ताकि इससे पता चल सके कि महिला के साथ शारीरिक संबंध बने थे या नहीं।
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क्या कहा है सुप्रीम कोर्ट ने टू फिंगर टेस्ट के बारे में ? What has the Supreme Court said about the two finger test?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (31 अक्टूबर) को बलात्कार के मामलों में "टू-फिंगर टेस्ट" करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इसे अपराध की श्रेणी में रखा है। ऐसा करने वालों को दोषी माना जाएगा। हालांकि कोर्ट ने इस बाबत पहले भी आदेश जारी किया था।
पहले ये धाराणा थी कि अगर प्राइवेट पार्ट में आसानी से दोनों उंगलियां चली गई तो ये माना जाता है कि महिला ने सेक्स किया है। इसे ही महिला के वर्जिन होने या वर्जिन न होने का भी सबूत मान लिया जाता है।
क्या इस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार है या नहीं ? Is there any scientific basis for this test or not?
इस टेस्टिंग का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। विज्ञान का मानना है कि महिलाओं की वर्जिनिटी में हाइमन के इनटैक्ट होने से साबित नहीं होता है कि बलात्कार हुआ है या नहीं।
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक In 2013, the Supreme Court had banned.
दरअसल, 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने टू-फिंगर टेस्ट को असंवैधानिक माना था। कोर्ट ने कहा था कि यह शारीरिक और मानसिक चोट पहुंचाने वाला टेस्ट है।
स्वास्थ्य मंत्रालय भी जारी कर चुका है आदेश Health Ministry has also issued order
स्वास्थ्य मंत्रालय भी इस टेस्ट को अवैज्ञानिक यानी अनसाइंटिफिक बता चुका है। मार्च 2014 में मंत्रालय ने रेप पीड़ितों के लिए नई गाइडलाइंस बनाई थीं, जिसमें इस टेस्ट को अवैध करार दिया था।
कब हुई थी इस टेस्ट की शुरुआत ? When did this test start?
इस परीक्षण की शुरुआत 1898 में एल थोइनॉट ने की थी। इस टेस्ट के अंतर्गत कहा गया कि सहमति के साथ बनाये गये यौन संबंधों में हाइमन लचीलेपन की वजह से टूटता नहीं है, जबकि जबरन बलात्कार करने से यह टूट जाता है।
लड़कियां जब पहली बार सेक्स करती हैं तो हाइमन टूटने की वजह से उनकी योनि से खून बहने लगता है। ये कोई जरूरी भी नहीं है। कुछ महिलाओं का सेक्स से पहले ही हाइमन टूट चुका होता है। कई बार वर्जिश करते हुए या खेलकूद करते हुए भी हाइमन अक्सर पहले ही टूट जाता है।
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