Russia Ukraine Crisis: रूस और यूक्रेन के बीच झगड़े की ये है असली वजह, जानें पूरी कहानी

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22 Feb 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:14 PM)

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मौजूदा जंग की जड़ में है ये चीज़

Russia Ukraine Crisis: क्या अमेरिका की आशंका सही है? क्या फरवरी में रूस यूक्रेन पर हमला करेगा? क्या रूस और यूक्रेन के बीच संभावित जंग रुक सकती है? अगर हां तो कैसे?

आखिर इस संभावित जंग की असली वजह क्या है, और ये जंग किस तरह टल सकती है। दरअसल इन दोनों ही वजह की जड़ में एक ही चीज है, और वो है गैस। ये बात किसी से छुपी नहीं है कि हाल के वक्त में चाहे इराक़ हो ईरान सीरिया या कतर। लड़ाई की जड़ में असली चीज तेल या गैस ही रही है। रूस और यूक्रेन के बीच मौजूदा जंग की सुगबुगाहट में भी गैस ही है।

गैजप्रॉम का फैलाया हुआ रायता है

Russia Ukraine Crisis: रूस दुनिया का वो इकलौता देश है जिसके पास सबसे ज़्यादा नेचुरल गैस का भंडार है। दूसरे नंबर पर ईरान और तीसरे नंबर पर क़तर है। रूस की एक गैस कंपनी है, नाम है गैजप्रॉम। ये रूसी सरकार की कंपनी है।

इस कंपनी के ज़रिए गैस और तेल से जो मुनाफा होता है वो रूस के सालाना बजट का करीब 40 फीसदी है। गैज़प्रॉम यूरोप में पाइपलाइन के ज़रिए सीधे गैस पहुँचाता है। यूरोप इस कंपनी का एक बड़ा बाज़ार है। 2014 से पहले तक सबकुछ ठीक था।

2014 में पहली बार यूक्रेन में सत्ता बदलती है। लोगों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए तब के राष्ट्रपति को कुर्सी छोड़कर जान बचाने के लिए देश से भागना पड़ता है। इसके बाद देश में एक नई सरकार आती है।

गैस का बाज़ार है जंग की बुनियाद में

Russia Ukraine Crisis: 1991 में सोवियत संघ से आज़ाद होने के बाद ये पहला मौका था कि जब यूक्रेन में रूस विरोधी सरकार आई थी। इसी गुस्से में रूस ने 2014 में ही यूक्रेन पर हमला बोला और क्रीमिया पर क़ब्जा कर लिया। इसके बाद हालात और बिगड़ने शुरू हो गए।

दरअसल 2014 तक रूस पाइप लाइन के जरिए गैस सीधे यूरोप तक भेजता था। जिन देशों से होकर ये पाइपलाइन गुज़रती थी रूस को उस देश को ट्रांजिट फीस देनी पड़ती थी। और इन्हीं में से एक देश है यूक्रेन।

गैजप्रॉम कंपनी की गैस पाइपलाइन यूक्रेन से होकर गुज़रती है। और इसके लिए रूस को हर साल क़रीब 33 बिलियन डॉलर ट्रांजिट फीस के ज़रिए यूक्रेन को देनी पड़ती थी। ये यूक्रेन के सालाना बजट का क़रीब 4 फीसदी है।

पुतिन को है सबक सिखाने की सनक

Russia Ukraine Crisis: मगर 2014 के बाद यूक्रेन के साथ रिश्ता खराब होते ही यूक्रेन को सबक सिखाने के लिए रूस ने एक नया तरीका आजमाया। उसने तय किया कि वो यूरोप तक नई गैस पाइपलाइन बिछाएगा। और इस बार ये पाइपलाइन यूक्रेन से होकर नहीं गुजरेगी। इससे यूक्रेन आर्थिक तौर पर कमजोर हो जाएगा।

इसी के बाद रूस ने नॉर्ड स्ट्रीम -2 गैसपाइप लाइन की शुरूआत की। ये रूस की एक बेहद महत्वाकांक्षी और खर्चीली परियोजना थी। इस योजना के तहत वेस्टर्न रूस से नॉर्थ ईस्टर्न जर्मनी तक बाल्टिक महासागर के रास्ते 1200 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन बिछाई गई। इसकी क़ीमत क़रीब 10 बिलियन डॉलर है।

इस पाइपलाइन के ज़रिए रूस अब सीधे यूक्रेन को बाइपास कर जर्मनी तक अपनी गैस भेज सकता है। जर्मनी में नेचुरल गैस की सख्त ज़रूरत है। और रूस ने उसे सस्ते दामों पर गैस देने का समझौता किया है।

कहते हैं कि इस नई पाइप लाइन के ज़रिए हर साल जर्मनी को 55 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस की सप्लाई का प्लान हैा। हालांकि नई गैस पाइप लाइन बनकर पूरी तरह से तैयार है। सिर्फ़ रूसी सरकारी कंपनी गैज़प्रॉम को बस यूरोपियन रेगुलेटर्स की मंजूरी का इंतजार है। मंजूरी मिलते ही गैस की सप्लाई शुरू हो जाएगी।

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