Tawang Clash: हिंदी-चीनी कभी नहीं थे भाई-भाई ! तवांग किसका ? क्या है असल विवाद ?

Tawang Clash: सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि आखिर बार-बार चीन ऐसी हरकतों को क्यों अंजाम दे रहा है ? ये कोई पहली मर्तबा नहीं है, जब चीन ने इस तरह की हरकत की हो।

CrimeTak

13 Dec 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:31 PM)

follow google news

India China Clash : भारतीय और चीनी सैनिकों की अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास हुई झड़प को लेकर कई सवाल खड़े हो गए है। सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि आखिर बार-बार चीन ऐसी हरकतों को क्यों अंजाम दे रहा है ? इससे उसको क्या फायदा है ? और ये विवाद किस बात को लेकर है ?

क्या है असल विवाद और इतिहास ?

भारत की चीन के साथ लगभग 3500 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है। इसे एलएसी कहा जाता है।

चीन अरुणाचल को मानता है दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा

अरुणाचल प्रदेश को चीन दक्षिणी तिब्बत बताते हुए इसे अपनी जमीन होने का दावा करता है। तिब्बत को भी चीन ने 1950 में हमला कर अपने में मिला लिया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, चीन अरुणाचल प्रदेश की करीब 90 हजार वर्ग किलोमीटर पर अपना दावा करता है। तो फिर यहां सवाल उठता है कि चीन का दावा कितना पुख्ता है ? क्या ये जमीन चीन की है या फिर भारत की ? किसने किसकी जमीन पर कब्जा किया हुआ है ?

तवांग पर क्यों है चीन की नजर ?

खूबसूरत पर तवांग पर है चीन की बुरी नजर। 1962 से ही तवांग पर चीन की बुरा नजर है लेकिन भारतीय जवानों की जांबाजी के आगे चीन को यहां हमेशा मुंह की खानी पड़ी है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर तवांग या अरुणाचल प्रदेश पर चीन की बुरी नजर क्यों है ?

साल 1962 में चीन ने अक्साई चिन के साथ अरुणाचल प्रदेश पर हमला बोला था। चीन ने साल 2009 में एशियन डिवेलेपमेंट बैंक से भारत को मिलने वाले लोन पर अड़ंगा डाला, क्योंकि इस पैसे का इस्तेमाल अरुणाचल प्रदेश से जुड़ी विकास योजनाओं में होना था। अरुणाचल प्रदेश को विवादित बताने के लिए चीन वहां के लोगो कों स्टेपल वीजा देता है।

सरकार नहीं हटी पीछे

लेकिन इसके बावजूद सरकार पीछे नहीं हटी और भारत की तरफ से साफ बता दिया गया कि चीन के इन पैंतरों से जमीनी हकीकत नहीं बदलेगी, इसीलिए चीन के विरोध के बावजूद सरकार ने तवांग में दलाई लामा को जाने से नहीं रोका।

क्यों यांगत्से है अहम ?

अगर यांगत्से की बात करें जहां 9 दिसंबर को भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई। यांगत्से तवांग से 35 किलोमीटर दूर उत्‍तर-पूर्व दिशा में हैं। यांगत्से भारतीय सेना के लिए सामरिक महत्व का ठिकाना है। सूत्रों के मुताबिक, दोनों देश के तीन से साढ़े तीन हजार सैनिक इस इलाके के आसपास तैनात रहते हैं। यांगत्से चीन के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि यहां से चीन पूरे तिब्‍बत पर नजर रख सकता है। चीन को डर है कि भारत अरुणाचल प्रदेश से तिब्बत में मूवमेंट शुरू करवा सकता है।

भूटान पर नजर

अरुणाचल प्रदेश का बॉर्डर भूटान से लगता है। ऐसे में अगर यहां पर चीन का कब्जा हो गया तो फिर उसके लिए भूटान को घेरना आसान हो जाएगा।

सड़कों का जाल

सरकार ने हाल ही में अरुणाचल फ्रंटियर्स हाइवे बनाने का एलान किया है, जो चीन से लगी सीमा के पास से होकर गुजरेगा। ये तवांग से शुरू होकर अपर सुबांशरी, टूटिंग, मेचुका, दिबांग वैली, देसाली, चालागाम, किबिटू, डोंग और म्यांमार बॉर्डर के पास विजय नगर पर जाकर खत्म होगा। चीन ने बॉर्डर पर सड़कों और हाइवे का जाल बिछा रखा है, मगर वो नहीं चाहता कि भारत भी ऐसा करे, लेकिन चीन के ऐतराज के बावजूद सरकार लगातार चीन से लगी सीमा पर सैन्य तैयारी पुख्ता कर रही है।

पहले भी धोखा दे चुका है चीन

ये कोई पहली मर्तबा नहीं है, जब चीन ने इस तरह की हरकत की हो। इससे पहले भी कई बार चीन इस तरह की ओछी हरकतों को अंजाम दे चुका है।

1962 - चीन और भारत युद्ध

1962 के युद्ध में चीन को जीत मिली थी। भारत इस युद्ध के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था और यही कारण है भारत को युद्ध में हार का सामना करना पड़ा था।

1967 में चीन को दिया करारा जवाब

चीन ने भारत को पांच सालों के बाद फिर धोखा दिया, लेकिन भारत ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया। चीनी सैनिकों को न सिर्फ मार गिराया था, बल्कि उनके कई बंकरों को भी ध्वस्त कर दिया था।

1975 में फिर चीन ने किया अटैक

1975 में अरुणाचल के तुलुंग ला में असम राइफल्स के जवानों की पेट्रोलिंग टीम पर अटैक किया गया। हमले में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए। इस हमले के लिए भारत ने चीन को जिम्मेदार ठहराया और यह भी कहा कि चीन ने बॉर्डर क्रॉस कर इस हमले को अंजाम दिया है।

गलवान घाटी में हुआ संघर्ष

इसके बाद साल 2020 में स्थिति काफी बिगड़ गई। गलवान घाटी में 15 जून को जब दोनों सेनाओं के बीच बातचीत चल रही थी तो चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों पर अचानक अटैक कर दिया। गलवान में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। इससे दोनों देशों के बीच विवाद और बढ़ गया।

2021 - 15 इलाकों के नाम बदल दिए

एक साल पहले दिसंबर 2021 में भी चीन ने अरुणाचल के 15 इलाकों के नाम बदल दिए थे। चीन अरुणाचल प्रदेश की करीब 90 हजार वर्ग किलोमीटर पर अपना दावा करता है। चीन और भारत के बीच मैकमोहन रेखा को अंतरराष्ट्रीय सीमा माना जाता है। तवांग मठ भी अरुणाचल प्रदेश में ही है, जहां छठे दलाई लामा का जन्म 1683 में हुआ था।

क्या था शिमला समझौता ?

1914 में शिमला समझौते के तहत तिब्बत, चीन और ब्रिटिश अधिकारियों के साथ बैठक में सीमा निर्धारण करने का फैसला किया। चीन ने ये फैसला नहीं माना। शिमला समझौते में भी चीन ने हर बार की तरह तिब्बत को स्वतंत्र देश नहीं माना। अंग्रेजों ने दक्षिणी तिब्बत और तवांग को भारत में मिलाने का फैसला किया। ये बात चीन को हजम नहीं हुई, इसलिए वो ये हरकतें करता रहता है।

    यह भी पढ़ें...
    follow google newsfollow whatsapp