बच्चा बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश, पकड़ा गया डॉक्टर भी, ऐसे होता था सौदा!

मुंबई पुलिस ने बच्चा चोरी करके उसे बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया और दो बच्चों को रेस्क्यू भी किया। तीन राज्यों में फैले इस गिरोह के सात लोगों को गिरफ्तार करके पुलिस जिस सच तक पहुँची वो वाकई हैरान करने वाला है।

CrimeTak

• 01:22 PM • 29 Apr 2024

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Interstate Child Selling Racket: मुंबई पुलिस ने बच्चा बेचने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भांडाफोड़ करके पूरे देश को बुरी तरह से झकझोरकर रख दिया। असल में इस रैकेट का खुलासा बेशक मुंबई में हुआ लेकिन इसके तार तीन राज्यों तक फैले दिखाई पड़े। पुलिस को इस मामले में महाराष्ट्र के अलावा तेलंगाना और आंध्र प्रदेश समेत दूसरे शहरों तक इस गिरोह के लिंक नज़र आ रहे है। पुलिस ने इस सिलसिले में एक डॉक्टर को भी पकड़ा है।

रैकेट के सात लोग गिरफ्तार

पुलिस ने इस रैकेट का पर्दाफाश करते हुए दो बच्चों को तो रेस्क्यू किया जबकि सात लोगों को गिरफ्तार भी किया है। खुलासा हुआ है, ये गिरोह अब तक 14 से ज्यादा बच्चे दूसरे शहरों में बेच चुका है। 

खरीद फरोख्त में डॉक्टर भी शामिल

मुंबई क्राइम ब्रांच के DCP रागसुधा आर के मुताबिक उन्हें ये खबर मिली थी कि विक्रोली की रहने वाली कांता पेडनेकर ने अपने ही पांच महीने के बच्चे को शीतल वारे नाम की एक महिला को बेच दिया। पुलिस ने फौरन ही शीतर वारे की तलाश की और उसे मिल भी गई। पुलिस ने जब उसका मुंह खुलवाया तो खुद पुलिस की आंखें खुली की खुली रह गईं क्योंकि उस महिला ने पुलिस को बताया कि उसने एक दो नहीं पूरे पांच बच्चों का सौदा किया। इस मामले में सबसे हैरानी की बात ये है कि कांता पेडनेकर ने एक बच्चा एक डॉक्टर को बेचा था। इससे ये भी साफ हो गया कि बच्चों की इस खरीद फरोख्त के मामले में डॉक्टर भी शामिल हैं। 

पुलिस ने दो बच्चों को रेस्क्यू किया

जिस डॉक्टर को बच्चा बेचा गया पुलिस ने उसका भी पूरा अता पता निकाल ही लिया। खुलासा हुआ कि जिस डॉक्टर को बच्चा बेचा गया उसका नाम संजय सोपान राव खंडारे है। जिसने कांता पेडनेकर से बच्चा खरीदने के बाद उसे आगे किसी शख्स को दो लाख रुपये में बेचा था। पुलिस की तफ्तीश का खुलासा है कि ये गिरोह अब तक 14 बच्चों का सौदा कर चुका है और हैरानी की बात ये है कि बच्चों की उम्र 8 महीनों से लेकर दो साल तक की है। 
पुलिस ने रत्नागिरी और मालाड से दो बच्चों को रेस्क्यू भी किया। पुलिस की छानबीन में पता चला है कि शीतल वारे ने शरद मारुति देवर और स्नेहा युवराज सूर्यवंशी के जरिये दो साल की बच्ची का सौदा नालासोपारा में किसी के साथ ढाई लाख रुपये में किया गया था। लेकिन पुलिस ने उस बच्ची को लीलेंद्र शेट्टी से रेस्क्यू करवाया। 

पूरे प्रदेश में फैला है एजेंटों का नेटवर्क

क्राइम ब्रांच पुलिस अफसर के मुताबिक जिन दो बच्चों को रेस्क्यू करवाया गया है उन्हें महालक्ष्मी के बाल आशा ट्रस्ट को सौंप दिये गए हैं। पुलिस अफसर के मुताबिक ये सारा धंधा एजेंटों के जरिए किया जाता है। इन एजेंटों का पूरे प्रदेश में नेटवर्क होता है और उन्हीं के जरिए ही सौदा किया जाता है। उन्हीं एजेंटों को बच्चा बेचने वालों और बच्चा खरीदने से जोड़ा जाता है। अगर कोई महिला छोटा बच्चा बेचती है तो उसे 20 हजार से 30 हजार की रकम मिल जाती है जबकि एजेंट एक सौदे में 50 हजार रुपये तक कमाता है।  

पकड़े गए लोगों की शिनाख्त

पुलिस ने इस सिलसिले में जिन सात लोगों को गिरफ्तार किया है उनकी पहचान भी हो गई है। 28 सालकी वंदना पवार, 41 साल की शीतल गणेश वारे, स्नेहा युवराज सूर्यवंशी, नसीमा हनीफ खान, लता गणभाऊ सुरवड़े, शरद मारुति देवर और डॉक्टर संजय सोपनराव खंडारे है। पुलिस ने कोर्ट से इनकी चार दिन की रिमांड ली है। 

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